Bajrang Dal Ban: कर्नाटक में सरकार बनने के बाद कांग्रेस द्वारा बजरंग दल पर बैन लगाने के वादे से राजनीति में तूफान आ गया है. क्योंकि कर्नाटक की अंजनाद्रि पर्वत श्रृंखला को बजरंग बली का जन्मस्थान माना जाता है.
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क || भारत की राजनीति तापमान में कांग्रेस के कर्नाटक चुनाव घोषणा पत्र के बाद से गर्मी बढ़ गई है. दरअसल मंगलवार (2 मई) को कांग्रेस ने घोषणा पत्र जारी कर कहा कि, “अगर पार्टी सत्ता में समाज में नफरत फैलाने वाले बजरंग दल और PFI जैसे संगठनों पर बैन लगाने की घोषणा की है.” जिसके बाद से राजनीतिक तापमान गर्म हो गया है. घोषणा पत्र के बाद BJP और कई हिन्दूवादी संगठनों ने कांग्रेस की जमकर आलोचना की है. कांग्रेस के घोषणा पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए बजरंग दल ने कहा कि, “बजरंग दल (Bajrang Dal) एक राष्ट्रवादी संगठन है और इसकी तुलना PFI जैसे प्रतिबंधित संगठन से करना दुर्भाग्यपूर्ण है.” राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1984 में बजरंग दल की स्थापना हुई थी.
उत्तरी कर्नाटक के हम्पी नामक शहर में अंजनाद्रि नाम का पर्वत है. मान्यता है कि, राम भक्त हनुमान जी का जन्म इसी पर्वत पर हुआ था. यह पर्वत जिस जगह पर है, जो पहले किष्किंधा राज्य का हिस्सा था.
बजरंग दल हिन्दुओं के सबसे दमदार और प्रभावशाली संगठनों में से एक है. उत्तर भारत के अलावा पूर्वोत्तर और तमिलनाडु तक बजरंग दल की पहुंच है. बजरंग दल एक हिन्दूवादी संगठन है और उद्देश्य हिन्दुत्व को घर-घर पहुंचाना है. मुख्य रूप से संगठन गौ, गीता, गंगा और गायत्री की रक्षा का काम करता है. संगठन का सूत्रवाक्य (तकिया कलाम) सेवा, संस्कृति और सुरक्षा है. पिछले कुछ सालों से युवाओं के बीच बजरंग दल का तेजी क्रेज बढ़ रहा है. संगठन का दावा है कि, वर्तमान में संगठन के 27 लाख सदस्य हैं और देशभर में इसके 2,500 अखाड़े चल रहे हैं.
PM मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
मंगलवार को चुनाव प्रचार के दौरान विजयनगर के होस्पेट पहुंचे तो वहां उन्होंने इस मुद्दे जिक्र किया. आंजनेद्री पर्वत का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि, “मेरा सौभाग्य है जो मैं बजरंगबली जी की पवित्र भूमि पर आया हूं. लेकिन दुर्भाग्य देखिए जब मैं इस पवित्र भूमि को प्रणाम करने आया हूं, तभी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग बली को ताले में बंद करने का निर्णय कर लिया. इन्होंने पहले प्रभु श्रीराम को ताले में बंद किया था. यह देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस को श्री राम से तकलीफ थी और अब जय बजरंगबली बोलने वालों से…”
Bajrang Dal: संतों की पुकार और बजरंग दल की स्थापना
अगर बजरंग दल की स्थापना बात करें तो इसकी 39 साल पहले यानी 1984 में हुई थी. विश्व हिन्दू परिषद के अनुसार, श्रीराम जानकी रथ यात्रा जब अयोध्या से प्रस्थान कर रही थी. तब यूपी की तत्कालीन सरकार ने यात्रा को सुरक्षा देने से मना कर दिया था. तब संतों ने युवाओं से यात्रा की जिम्मेदारी संभालने का आह्वान किया था. संतों का कहना था कि, जिस तरह हनुमान जी प्रभु श्रीराम के कार्य के लिए उपस्थित रहते थे. ठिक उसी तरह आज के समय में बजरंगियों की टोली मौजूद रहे. जिसके कारण 8 अक्टूबर 1984 को बजरंग दल की स्थापना हुई थी. बजरंग दल का संस्थापक विनय कटियार को माना जाता है. इस संगठन का अहम काम राम मंदिर आंदोलन में जुड़े लोगों की रक्षा करना था. बजरंग दल का दावा है कि, इसका जन्म किसी के विरोध में नही बल्कि हिन्दुओं का कथित असामाजिक तत्वों से रक्षा के लिये हुआ है.
Bajrang Dal Ban: पहले भी बैन कर चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस 31 साल पहले भी बजरंग दल पर बैन लगा चुकी है. दरअसल 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार ने 5 संगठनों पर प्रतिबंधित लगा दिया था. इन संगठनों में बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS), विश्व हिन्दू परिषद (VHP), जमात-ए-इस्लामी हिंद और इस्लामिक सेवक संघ शामिल थे. Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 के तहत इन संगठनों पर बैन लगाया था. हालांकि साम्प्रदायिक स्थिति को देखते हुए सरकार ने किसी बड़े नेता को गिरफ्तार नहीं किया था. गृह मंत्रालय ने RSS, VHP और बजरंग दल पर आरोप लगाया था कि, इनका बाबरी मस्जिद विध्वंस में सक्रिय रोल था. बता दें बजरंग दल के संस्थापक विनय कटियार ने कारसेवकों को संगठित करने और राम मंदिर आंदोलन की रूप रेखा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी..
1992 में प्रतिबंध के मामले में Unlawful Activities (Prevention) ट्रिब्यूनल ने 6 महीने में बजरंग दल और RSS से प्रतिबंध हटा लिया था.
अगर कोई सरकार किसी सगंठन पर प्रतिबंध लगाती है तो कानून के अनुसार, इस प्रतिबंध की अधिसूचना जारी होने के 30 दिन के अंदर इस मुद्दे को एक कोर्ट या ट्रिब्यूनल को भेजना होता है. इसके बाद 6 महीने के अंदर कोर्ट को तय करना होता है कि, सगंठन को प्रतिबंध जारी रखा जाए या रद्द कर दिया जाए. इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के जज करते हैं.
कर्नाटक में बजरंग दल का प्रभाव
राज्य में संगठन के 4,500 से ज्यादा अखाड़े और 38 हज़ार से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं. कर्नाटक में ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव के कारण बजरंग दल (Bajrang Dal) और ईसाई मिशनरियों के बीच टकराव देखा जा सकता है. कर्नाटक की कुल आबादी का 2 प्रतिशत (12 लाख) लोग ईसाई धर्म को मानते हैं. कर्नाटक में बजरंग दल की सक्रियता का दूसरा सबसे बड़ा कारण लव जेहाद, धर्म परिवर्तन और हिजाब का विवाद है. बजरंग दल इन तीनों के ही खिलाफ है.
अगर कोई सरकार किसी सगंठन पर प्रतिबंध लगाती है तो कानून के अनुसार, इस प्रतिबंध की अधिसूचना जारी होने के 30 दिन के अंदर इस मुद्दे को एक कोर्ट या ट्रिब्यूनल को भेजना होता है. इसके बाद 6 महीने के अंदर कोर्ट को तय करना होता है कि, सगंठन को प्रतिबंध जारी रखा जाए या रद्द कर दिया जाए. इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के जज करते हैं.