World Food Day 2022: दुनियाभर के 150 देशों में आज (16 अक्टूबर) को विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) मनाया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य भुखमरी से पीड़ित लोगों की मदद करना और अन्न के महत्व के प्रति आम नागरिकों को जागरुक करना है. विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) SDG 2 यानी जीरो हंगर (Zero Hunger) पर जोर देता है. UN के विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme) को भूख से निपटने और संघर्ष क्षेत्रों में शांति में योगदान देने के लिए 2020 में शांति का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया गया था. सबसे पहले खाद्य दिवस को मनाने का आईडिया हंगरी के पूर्व कृषि व खाद्य मंत्री डॉ पाल रोमानी (Paul Romani) ने दिया था.
हर वर्ष विश्व खाद्य दिवस को एक नई थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल इसकी थीम ‘कोई पीछे न छूटे (No one should be left behind)’ रखी गई है. वहीं 2021 में इसकी थीम ‘स्वस्थ कल के लिए सुरक्षित भोजन (Safe Food for a Healthier Tomorrow)’ थी.
इसके अलावा भारत ने राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission) के तहत 2022 तक “कुपोषण मुक्त भारत (Malnutrition Free India)” का लक्ष्य रखा था. लेकिन वैश्विक कोरोना महामारी के चलते भारत इस लक्ष्य को हासिल करने में पिछड़ रहा है. दुसरी तरफ वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2021 में भारत 101वें स्थान पर आ गया है. 116 देशों के इस सूचकांक में भारत पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे है. वहीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 (Global Hunger Index 2022) में भारत 107वें स्थान पर पहुंच गया है.
World Food Day 2022: विश्व खाद्य दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि संगठन ने 1979 में भुखमरी से पीड़ित लोगों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की थी. लेकिन इसके लगभग 2 साल बाद यानी 1981 से खाद्य एवं कृषि संगठन के स्थापना दिवस पर विश्व खाद्य दिवस मनाने की शुरुआत हुई. आज से लगभग 76 साल पहले 16 अक्टूबर 1945 को UN ने खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) की स्थापना की थी. FAO संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक संस्था है जो विश्व में भुखमरी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण की समाप्ति के लिए काम करती है. वर्तमान में चीन के क्व डोंग्यु (Qu Dongyu) FAO के निदेशक है.
पुरे विश्व में लाखों लोगों की मौत भूख के कारण हो जाती है. जिसके कारण समर्थ लोगों को उनलोगों की मदद करने के प्रति जागरूक करना भी जिन लोगों दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है.