हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa Lyrics) श्री राम भक्त और शक्ति और भक्ति के देवता हनुमान जी की स्तुति का एक भक्ति भजन है. इस भक्ति ग्रंथ की रचना 16वीं शताब्दी में महाकवि तुलसीदास जी ने की थी. हनुमान चालीसा 40 श्लोक वाली एक कविता है जो हनुमान जी के ताकत, साहस, भक्ति और ज्ञान का वर्णन करती है. जो इंसान हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ करता है उस पर हनुमान जी के साथ-साथ श्री राम और भगवान शिव-पार्वती की कृपा बनी रहती है..
Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा के पाठ के नियम
- हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है.
- हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए सूर्योदय से पहले प्रात:स्नान आदि से निवृत्त होकर लाल रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- इसके बाद मंदिर में हनुमान जी की तस्वीर लगाएं और पूजा के दौरान किसी आसन पर बैठें.
- हनुमान चालीसा पाठ करने से पहले गणपति जी और भगवान राम एवं माता सीता का ध्यान करें.
- इसके बाद हनुमान चालीसा पाठ का संकल्प लें.
- इसके बाद हनुमानजी के समक्ष धूप-दीप जलाएं और उन्हें पुष्प अर्पित करें.
- इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें और समाप्ति के बाद बजरंगबली को बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं.
अगर आप हनुमान चालीसा के पाठ के दौरान इन नियमों का पालन नहीं करते है तो आपको कोई खास लाभ प्राप्त नहीं होगा.
Hanuman Chalisa Lyrics: श्री हनुमान चालीसा लिरिक्स
|| दोहा ||
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि |
बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि ||
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार |
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ||
|| चौपाई ||
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ||
राम दूत अतुलित बल धामा |
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ||
महाबीर बिक्रम बजरंगी |
कुमति निवार सुमति के संगी ||
कंचन बरन बिराज सुबेसा |
कानन कुण्डल कुँचित केसा ||
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे |
कांधे मूंज जनेउ साजे ||
शंकर सुवन केसरी नंदन |
तेज प्रताप महा जग वंदन ||
बिद्यावान गुनी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर ||
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा |
बिकट रूप धरि लंक जरावा ||
भीम रूप धरि असुर संहारे |
रामचन्द्र के काज संवारे ||
लाय सजीवन लखन जियाये |
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ||
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं |
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ||
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल जहां ते |
कबि कोबिद कहि सके कहां ते ||
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना |
लंकेश्वर भए सब जग जाना ||
जुग सहस्र जोजन पर भानु |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं |
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ||
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||
सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रच्छक काहू को डर ना ||
आपन तेज सम्हारो आपै |
तीनों लोक हांक तें कांपै ||
भूत पिसाच निकट नहिं आवै |
महाबीर जब नाम सुनावै ||
नासै रोग हरे सब पीरा |
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ||
संकट तें हनुमान छुड़ावै |
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ||
सब पर राम तपस्वी राजा |
तिन के काज सकल तुम साजा ||
और मनोरथ जो कोई लावै |
सोई अमित जीवन फल पावै ||
चारों जुग परताप तुम्हारा |
है परसिद्ध जगत उजियारा ||
साधु संत के तुम रखवारे |
असुर निकन्दन राम दुलारे ||
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता |
अस बर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हरे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुह्मरे भजन राम को पावै |
जनम जनम के दुख बिसरावै ||
अंत काल रघुबर पुर जाई |
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ||
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाईं |
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ||
जो सत बार पाठ कर कोई |
छूटहि बन्दि महा सुख होई ||
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ हृदय महं डेरा ||
|| दोहा ||
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ||
जय श्री सीताराम, जय हनुमान ||