Hartalika Teej 2024 Date: हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों में शामिल हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाएगा. तृतीया दो दिन पड़ने के कारण व्रत की सही तारीख को संशय पैदा हो रहा है. आइए जानते है व्रत की सही तिथि, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में-
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क || Hartalika Teej 2024 Ki Tithi or Date: सुहागन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष तृतीया को हरतालिका तीज (Hartalika Teej) व्रत रखती है. भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित यह व्रत निर्जला रखा जाता है. वहीं मनचाहे और योग्य पति की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याओं भी यह उपवास रखती है. शास्त्रों में इस व्रत के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है. आइए जानते हैं यह व्रत कब रखा जाएगा और इसका शुभ मुहूर्त क्या है?
Hartalika Teej 2024 Date: व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
05 सितंबर और 06 सितंबर को शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पड़ने के कारण आम लोगों में संशय की स्थिति बन रही है. गणना के अनुसार, तृतीया तिथि 05 सितंबर दोपहर 12:30 बजे से शुरू होकर 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी. 06 सितंबर, शुक्रवार को उदिया तिथि होने के कारण हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2024) का व्रत इसी दिन रखा जाएगा.
ऐसा माना जाता है कि, हरितालिका पर किसी भी समय पूजा की जा सकती है. लेकिन इस दिन भगवान शिव और माँ पार्वती की सुबह के समय में पूजा करना अंत्यंत कल्याणकारी होता है. पंचांग के अनुसार, 06 सितंबर को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट के बीच शुभ मुहूर्त रहेगा. हरतालिका तीज के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इसलिए दान करने के लिए सुबह 11 बजकर 55 बजे से दोपहर 12 बजकर 40 बजे तक शुभ समय है.
हरतालिका व्रत का महत्व
मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत उपासना करने से पारिवारिक और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है. वहीं इस दिन माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री और भगवान शिव को पीले वस्त्र व फूल अर्पित करने का विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि, महिलाओं को इस माता पार्वती को बिछिया जरूर अर्पित करनी चाहिए. हरतालिका तीज के व्रत को संतान प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है.
Hartalika Teej 2024: व्रत की विधि
हरतालिका तीज का व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कार्य निपटाने के बाद इस निर्जले व्रत का संकल्प लें. व्रत के दिन स्वास्थ्य ठीक ना होने पर फलाहार भी किया जा सकता हैं.
- शुभ मुहूर्त में माता पार्वती और देवादिदेव भगवान शिव की उपासना करें.
- इस दिन सुहागन संपूर्ण श्रंगार करें और माता पार्वती को सौभाग्य का सारा सामान अर्पित करें. इसके बाद माता से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.
- इस दिन शाम को प्रदोष काल में भी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें.
- पूजा के दौरान मिठाई, फल, फूल, धूप और कर्पूर आदि अर्पित करें.
- इसके बाद विवाहिता स्त्रियां अपनी सास को सौभाग्य की वस्तुं दे और उनका आशीर्वाद लें.
- माता पार्वती और भगवान शिव की संयुक्त पूजा के बाद व्रत का पारायण करें.
- इस दिन जागरण और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है.
डिस्क्लेमर: यहां मौजूद सभी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित हैं. SptvNews.Com की भी मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी को सलाह को अपनाने से पहले किसी जानकर या एक्सपर्ट व्यक्ति की सलाह अवश्य लें.
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