Janmashtami Vrat: जन्माष्टमी के दिन भूलकर भी ना करें ये गलती, वरना नाराज होंगे भगवान श्रीकृष्ण, जानें सभी नियम

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Janmashtami Vrat: भाद्रपद माह के अष्टमी वाले दिन भक्त व्रत रखकर धुमधाम से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं. जन्माष्टमी के दिन भक्तों को पूजा करते समय पूजा और व्रत रखते समय कुछ नियमों का अवश्य पालन करना चाहिए. इन नियमों के उल्लंघन से भगवान श्रीकृष्ण आपसे नाराज हो सकते है.

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नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क || पुरे देश में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई है. ऐसी मान्यता है कि, भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन श्रद्धालु भक्तिभाव से उपवास रख भगवान का गुणगान करते हुए श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं. ऐसा कहा जाता है, इस दिन पुर्ण श्रद्धा भाव से भगवान के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा और व्रत करने से आपको मनवांछित फल प्राप्त होता है. हालांकि जन्माष्टमी व्रत (Janmashtami Vrat) में आप भूलकर भी कुछ गलती कर देते हैं तो आपको इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. आइए जानते हैं ऐसी कुछ गलतियों के बारे में जिनको बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए..

Krishna Janmashtami Vrat Rules: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत नियम

  • जन्माष्टमी व्रत की एक रात पहले से सात्विक भोजन करना चाहिए. जबकि एक दिन पहले और जन्माष्टमी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद हाथों में तुलसी पत्ती और गंगा जल लेकर व्रत का संकल्प करें.
  • जन्माष्टमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करें.
  • व्रत के दिन मध्याहन के वक्त तिल के पानी से स्नान करें और रात में पूजा के दौरान नए वस्त्र धारण करें.
  • इस दिन श्री लक्ष्मी नारायण को कमल के फूलों से सजाएं.
  • भगवान श्रीकृष्ण को फल, दही, दूध, पंचामृत का भोग लगाएं.
  • कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल का पंचामृत से स्नान कराएं और उसे स्वंय प्रसाद स्वरूप में ग्रहण करें.
  • व्रत के दिन पूजा के दौरान आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. – जबकि व्रती अपने व्रत को मध्यरात्रि यानी रात बारह बजे के बाद ही खोंले.

Krishna Janmashtami: जन्माष्टमी पर भुलकर भी न करें ये गलती

  • इस दिन भुलकर भी तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए. भगवान के भोग के लिए एक दिन पहले ही तुलसी का पत्ता तोड़कर रखें.
  • जन्माष्टमी के दिन लहसुन-प्याज या किसी भी तरह का तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा चावल भी नहीं खाना चाहिए.
  • इस दिन किसी जीव की हत्या या उसे किसी भी तरह का कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए. वहीं किसी भी पेड़ पौधे को नहीं काटना चाहिए.
  • जन्माष्टमी के दिन किसी व्यक्ति का अनादर और उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए.

इन सबके अलावा कुछ ऐसे भी कार्य है, जो अगर आप जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन करते है तो भगवान भक्तों पर सदैव अपना आशीर्वाद बनाए रखते है. इनमें गरीबों को जरूरत की चीजें दान करें, गऊ माता और बछड़े की सेवा करें. लड्डू गोपाल को खीर का भोग लगाएं और ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का जाप करें. जबकि जन्माष्टमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भर कर भगवान का अभिषेक करें.

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