Shardiya Navratri 2023 Day 4: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने का विधान है. मां कुष्माण्डा का स्वरुप बेहद ही पावन है. इस लेख की मदद से देवी कुष्माण्डा की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त जानने वाले है..
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क || नौ दिनों तक चलने वाला शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2023) का पावन त्योहार 15 अक्टूबर से शुरू हो गया है. देवी दुर्गा का चौथा अवतार माँ कुष्मांडा है. ऐसा माना जाता है कि, माँ ने ब्रह्मांड की रचना इसी स्वरूप से की थी. अष्टभुजा वाली मां कूष्माण्डा अपने हाथों में धनुष-बाण, कमण्डल, कमल-पुष्प, चक्र, गदा, अमृतपूर्ण कलश और माला धारण करती है. मां कूष्माण्डा सिंह की सवारी करती है.
ज्योतिष के अनुसार, देवी कूष्मांडा को सबसे प्रिय लाल रंग है, इसलिए देवी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल, लाल गुलाब इत्यादि अर्पित किये जाते हैं. माता कूष्मांडा (Goddess Kushmanda) का आशीर्वाद किसी के जीवन में सभी बाधाओं और चुनौतियों का अंत करने और लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त करने में मदद करता है. वहीं पूजा के दौरान मां कूष्मांडा को मीठा दही, हलवा या मालपुए का भोग लगाना चाहिए.
Shardiya Navratri 2023 Day 4: पूजन विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर, साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. इसके बाद मां कुष्मांडा की तस्वीर को लाल कपड़े पर रखें और मां को पीला चंदन लगाएं. माता कूष्मांडा की पूजा के दौरान अक्षत, केसर, कुमकुम, पान के पत्ते, मौली और शृंगार आदि अर्पित करें. वहीं सफेद कुम्हड़ा या कुम्हड़ा अर्पित करने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से माता की आरती करें.
आरती के बाद मां कूष्मांडा से अपने परिवार की रक्षा का आशीर्वाद लें. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अविवाहित लड़कियां द्वारा देवी कुष्मांडा की पूजा करने से उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ती होती है. जबकि सुहागिन स्त्रियां को अखंड सौभाग्य मिलता हैं.
Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का आरंभ और समापन : 18 अक्टूबर 2023 को सुबह 1 बजकर 26 मिनट से 19 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 12 मिनट तक
- ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04:25 बजे से सुबह 05:13 बजे तक
- अमृतसिद्धि या सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06:28 बजे से रात 09:00 बजे तक
- अमृत काल : सुबह 10:24 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
पूजन मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च |
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ||
बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
Maa Kushmanda Ki Aarti: श्री माता कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी |
मुझ पर दया करो महारानी ||
पिगंला ज्वालामुखी निराली |
शाकंबरी मां भोली भाली ||
लाखों नाम निराले तेरे |
भक्त कई मतवाले तेरे ||
भीमा पर्वत पर है डेरा |
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा ||
सबकी सुनती हो जगदम्बे |
सुख पहुंचती हो मां अम्बे ||
तेरे दर्शन का मैं प्यासा |
पूर्ण कर दो मेरी आशा ||
मां के मन में ममता भारी |
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी ||
तेरे दर पर किया है डेरा |
दूर करो मां संकट मेरा ||
मेरे कारज पूरे कर दो |
मेरे तुम भंडारे भर दो ||
तेरा दास तुझे ही ध्याए |
भक्त तेरे दर शीश झुकाए ||