Shardiya Navratri 2023: इस साल 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है. नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा की पूजा और उपासना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के पहले दिन भक्त अपने घर में कलश स्थापना करने के दौरान शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें. इस लेख की मदद से हम कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और नियम जानने वाले है.
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क || शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2023) की शुरुआत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि (15 अक्तूबर, रविवार) से हो रही है. नवरात्रि के नौ दिनों माँ दुर्गा के रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. ये नवरात्रि खास इसलिए भी है क्योंकि इस बार की नवरात्रि में माता हाथी पर सवार होकर धरती पर आपने वाली है. हाथी को ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
देवी भागवत के एक श्लोक “शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता ||” के अनुसार, नवरात्रि के शुरुआत के दिनों के मुताबिक माँ दुर्गा के आगमन के अलग-अलग वाहन बताए गए है.
- अगर सोमवार या रविवार को नवरात्रि का आरंभ होता है, तो माता हाथी पर सवार होकर आएंगी.
- बुधवार के दिन नवरात्रि का आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं.
- वहीं शनिवार और मंगलवार के दिन नवरात्रि का आरंभ होने पर माता अश्व (घोड़े) पर सवार होकर आएंगी.
- जबकि गुरुवार या शुक्रवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता डोली में सवार होकर आती हैं.
वैसे तो हिंदु धर्म में सालभर में कुल चार बार नवरात्रि आती है. लेकिन आम भक्तजन चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) और अश्विन माह वाली शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) को ही जानते है. दरअसल ऐसा इसलिए आषाढ़ माह और माघ नवरात्रि में दो अन्य नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) कहा जाता है. आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना द्वारा माता को प्रसन्न किया जाता है. वहीं माघ नवरात्रि में सिद्धियां प्राप्त करने के लिए माता की साधना की जाती है.
Shardiya Navratri 2023 Kalash Sthapna Shubh Muhurat: कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. धार्मिक ग्रंथों में कलश को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है. कलश स्थापना के समय कलश के चारों ओर जौ बोए जाते हैं. कलश के मुख में भगवान विष्णु और मध्य में अन्य दैवीय शक्तियों का निवास होता है. कलश को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है, जिस कारण नवरात्रि से प्रथम दिन घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है.
- घटस्थापना की तिथि : रविवार 15 अक्टूबर, 2023
- घटस्थापना मुहूर्त : सुबह 06 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर सुबह 08:45 मिनट तक रहेगा.
- अभिजित मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा (लगभग 45 मिनट)
नोट: अभिजित मुहूर्त को देवी माँ की स्थापना के लिए सबसे शुभ माना जाता है.
नवरात्रि पर कलश स्थापना के बिना माता की पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि, गलत मुहूर्त में कलश स्थापना या घटस्थापना करने से मां दुर्गा क्रोधिक हो सकती हैं. कभी भी रात के समय और अमावस्या के दिन कलश स्थापना नहीं की जाती.
Shardiya Navratri Kalash Sthapana ke Niyam: नवरात्रि में कलश स्थापना के कुछ नियम
- कलश हमेशा मिट्टी, सोना, चांदी या तांबा का ही होना चाहिए. नवरात्रि में लोहे या स्टील का कलश प्रयोग नहीं किया जाता.
- कलश स्थापना घर की पूर्व या उत्तर दिशा में ही करनी चाहिए.
- कलश स्थापना वाली जगह को गंगा जल से शुद्ध कर, वहां हल्दी से चौक पूरते हुए अष्टदल बनाना चाहिए.
- वहीं माता प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति जलाएं तो उसे पूर्व-दक्षिण दिशा (आग्नेय कोण) में रखें. ताकि पूजा करते के दौरान आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रहे.
- कलश में जल लेकर हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान और पुष्प डालने के पश्चात कलश के बाहर रोली से स्वास्तिक बनाए.
- कलश को पवित्र जगह पर स्थापित करते हुए, सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान करें और फिर माता भगवती का आह्वान करें.
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