Independence Day Special: आइए जानते है देश की आजादी में विशेष योगदान देने वाले ऐसे शख्स के बारे में जो सरदार भगत सिंह जैसे कई क्रांतिकारी के गुरु रहे है. इस स्वतंत्रता सेनानी ने काकोरी कांड में अहम भूमिका निभाई थी.
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क || Independence Day Special: हिंदुस्तान गुलामी से भारत की भूमि को आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नायकों की कहानियों की भरा पड़ा है. ऐसे बहुत से नायक है जिनके बारे आम लोग बहुत ही कम जानते है. पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और शहीद बंधू सिंह जैसे नायकों से भरा गोरखपुर अपने अंदर एक ऐसे स्वतंत्रता संग्राम के नायक की कहानी समेटे हुए है, जिसे सरदार भगत सिंह का गुरु होने के बावजूद बहुत कम लोग जानते है. इस महान नायक का नाम सचिंद्र नाथ सान्याल (Sachindra Nath Sanyal) है.
जानकारी के अनुसार, सचिंद्र नाथ सान्याल सरदार सरदार भगत सिंह के अलावा कई अन्य क्रांतिकारियों के भी गुरु थे. 1925 में हुए काकोरी ट्रेन लूट कांड (Kakori Conspiracy) में सान्याल जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दरअसल ऐसा कहा जाता है कि, काकोरी कांड में शामिल चंद्रशेखर आजाद और रामप्रसाद बिस्मिल सहित कई क्रांतिकारीयों ने लूट की प्लानिंग सचिंद्र नाथ के गोरखपुर वाले घर पर थी और लूट के बाद यहीं आकर रुके थे.
भारत सेवाश्रम के अध्यक्ष का कहना है कि, “काकोरी कांड में इस्तेमाल हुए हथियार सचिंद्र नाथ सान्याल ने ही उपलब्ध करवाए थे.” वहीं इस स्वतंत्रता नायक के पास से मिले कुछ कागजातों, दस्तावेजों और अन्य कई प्रमाणों से यह पता चलता है कि, नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी कई बार उनके गोरखपुर वाले आवास पर आए थे.
Independence Day Special: सचिंद्र नाथ सान्याल का पूरा परिचय
बंगाली परिवार से संबंध रखने वाले सचिंद्र नाथ सान्याल का अप्रैल 1890 में उत्तर प्रदेश के बनारस में हुआ था. शुरुआती शिक्षा बनारस से हासिल करने के बाद सचिंद्र नाथ ने गोरखपुर को अपनी कर्मभूमि बनाया. आपको बता दें, गोरखपुर में काली मंदिर के पास उनका आज भी मकान है. सचिंद्र के बड़े भाई रविंद्रनाथ सेंट एंड्रयूज डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर थे. सचिंद्र नाथ सान्याल दो बच्चे है जिनमें एक बेटी और बेटा हैं.
आपको बता दें कि, कैंट थाना क्षेत्र अंतर्गत सेवाश्रम के कैंपस में भी सचिंद्र नाथ का एक मकान है, जहां उनका अंतिम समय गुजारा था. इस मकान के जीर्णोधार के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2023 में एक करोड़ रुपए से अधिक का बजट पास किया था. इससे स्मृति द्वार और चबूतरा बनाकर उनकी मूर्ति स्थापित करने की गई है. जबकि उनकी यादों को समेटे एक लाइब्रेरी और म्यूजियम का भी निर्माण करवाया जा रहा है.
भारत सेवाश्रम के अध्यक्ष स्वामी विशेषानंद का कहना है कि, “स्वतंत्रता संग्राम के ब्रिटिश सरकार ने सचिंद्र नाथ सान्याल को काला पानी की सजा सुनाई थी. लेकिन बीमार होने के कारण उन्हें कोलकाता जेल भेज दिया गया. जहां पता चला कि उन्हें टीबी की बीमारी है, जिसके बाद उनकी पत्नी के विद्रोह पर उन्हें गोरखपुर भेजा गया. अंतत लंबी बीमारी के बाद फरवरी 1942 में सचिंद्र नाथ ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.”
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