मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) गैंग के एक सदस्य की जमानत याचिका नामंजूर करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंग को भारत का सबसे खूंखार गिरोह माना है. याचिका के दौरान सरकारी वकील रत्नेंदु कुमार सिंह ने कहा कि, “आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.”
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क || उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में 2010 के एक हत्याकांड मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मुख्तार अंसारी गैंग के एक सदस्य को जमानत देने से मना कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि, “मुख्तार अंसारी गैंग देश के सबसे खूंखार गिरोह में शामिल है.” वहीं अदालत ने माना है कि, जमानत मिलने के बाद आरोपी रामू मल्लाह मामले में गवाहों और उनके बयान को प्रभावित कर सकता है.
आपको बता दें, मल्लाह (Mukhtar Ansari) ने कोर्ट में CRPC की धारा 439 के तहत जमानत याचिका दायर की थी. जमानत याचिका के विरोध में सरकारी वकील रत्नेंदु कुमार सिंह ने कहा कि, “आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और मामले में बरी साबित हो सकते हैं.” जिस पर हाईकोर्ट ने हामी भरी थी.
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने 1 मार्च को अपने आदेश में कहा था कि, “आरोपी को बरी कर दिया गया है क्योंकि कुछ अन्य मामलों में गवाह मुकर गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उनका आपराधिक इतिहास खत्म नहीं हो जाता है. आवेदक एक खूंखार अपराधी है और देश के सबसे खूंखार आपराधिक गिरोह ‘मुख्तार अंसारी गिरोह’ का सदस्य है. आरोपी जघन्य अपराधों के कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है. अगर ऐसे अपराधी को जेल से बाहर आने दिया जाता है, तो वह निश्चित रूप से गवाहों को प्रभावित करेगा.”
कोर्ट को यह अजीब लगा कि हाईकोर्ट की एक को-ऑर्डिनेट बेंच ने इस मामले में मल्लाह को 2013 में जमानत कैसे दे दी थी. आपको बता दें, मऊ के पूर्व विधायक और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) अप्रैल 2021 से बांदा जेल में बंद है.