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नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क || How to make Rasgulla: रसगुल्ला ओडिशा राज्य की एक लोकप्रिय मिठाई है. रसगुल्ले की बनावट स्पंजी होती है और चाशनी (सिरप) इसे मीठा स्वाद देती है. यह पनीर से बनी एक नरम और स्पंजी मिठाई है, जिसके छोटे-छोटे गोले बनाकर चीनी की चाशनी में पकाया जाता है. रसगुल्ले भारतीय घरों और मिठाई की दुकानों में बनने और बिकने वाली एक प्रमुख मिठाई है.
How to make Rasgulla at Home: घर पर रसगुल्ला बनाने के लिए निम्न सामग्री और चरणों को फॉलो करें:
सामग्री :
- 1 लीटर पूरा दूध
- 1 चम्मच नींबू का रस या सिरका
- सूजी या रवा के 3 बड़े चम्मच
- मैदा के 3 बड़े चम्मच
- 2 कप चीनी
- 10 कप पानी
- 2 इलायची (स्वाद देने के लिए)
स्टेप्स :
- 1 लीटर दूध उबालें और उसमें 1 चम्मच नींबू का रस या सिरका मिलाएं. नींबू के रस या सिरके के इस्तेमाल से दूध फट जाएगा.
- दूध फटने के बाद इसके छैना से अलग करने के लिए इसे जालीदार कपड़े से छान लें.
- छैना को लगभग 10 मिनट तक गूंधें जब तक कि यह चिकना और इसमें एक भी गांठ ना रहे.
- अब छैना में 3 बड़े चम्मच सूजी और 3 बड़े चम्मच मैदा मिलाएं.
- मिश्रण से छोटे और बराबर आकार के बॉल्स बना लें. इन्हें हल्का-सा दबाकर चिकने, गोल पकौड़े का आकार दें.
- चाशनी बनाने के लिए एक गहरे पैन में 2 कप चीनी और 10 कप पानी के साथ 2 इलायची को उबालें.
- चाशनी में छैना के बॉल्स को डालें और मध्यम आंच पर 10-12 मिनट तक पकने दें.
- जब बॉल्स आकार में दुगने हो जाएं तो आंच बंद कर दें और उन्हें 5-10 मिनट के लिए ठंडा होने दें. आपके रसगुल्ले तैयार है.
आप अपनी इच्छानुसार रसगुल्लों को गर्म या ठंडा परोसें और स्वादिष्ट रसगुल्लों का आनंद लें..
रसगुल्ले का इतिहास (History of Rasgulla)
रसगुल्ले की उत्पत्ति का श्रेय ओडिशा को दिया जाता है, पिछली कई सदियों से रसगुल्ले ओडिशा की पारंपरिक मिठाई रहे है. हालाँकि, रसगुल्ले का सटीक इतिहास रहस्य और विवाद में डूबा हुआ है, इसकी उत्पत्ति के संबंध में कई दावे और प्रति-दावे किये जाते रहे हैं.
कहा जाता है कि, “लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, रसगुल्ला का आविष्कार 19वीं शताब्दी में ओडिशा के प्रसिद्ध हलवाई नोबिन चंद्र दास ने किया था.” जबकि कुछ लोगों का दावा है कि, रसगुल्ला वास्तव में मुगल आक्रमणकारियों द्वारा ओडिशा लाया गया था और यह मूल रूप से एक अरबी मिठाई थी. हालांकि, यह दावा इतिहासकारों के बीच विवादित रहा है.
जबकि ओडिशा के स्थानीय लोगों का कहना है कि, “यह मिठाई ओडिशा की है और सबसे पहले यहीं बनी थी. मडलापंजी (श्रीजगन्नाथ जी के इतिहास तथ्य संबंधी पुस्तक) में इसे (रसगुल्ले) छेना लाडू, रसगोला और रसगुल्ला कहा गया है. महाप्रभु को 12वीं सदी से रसगोला नाम से भोग लगाया जा रहा है.